by samiksha tiwari
कॉर्नफ्लावर की खूबसूरती का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह जर्मनी का राष्ट्रीय फूल है। कॉर्नफ्लावर का पौधा मुख्य रूप से नीले रंग के बहुत ही खूबसूरत फूल खिलता है, आपको कॉर्नफ्लावर फूल को ग्रो करने के बारे में जरूर जानना चाहिए। कॉर्नफ्लॉवर को बीज से उगाना बेहद आसान है और साथ ही इस पौधे में कीट या रोग लगने का खतरा भी कम रहता है।
कॉर्नफ्लॉवर के फूलों के बीज बोने का सही समय वसंत ऋतु में मार्च या अप्रैल के महीने में और शरद ऋतु के मौसम में सितंबर या अक्टूबर के महीने में होता है। रोपण के कम से कम 2 महीने बाद कॉर्नफ्लावर के पौधे फूलने लगते हैं।
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कॉर्नफ्लावर का पौधा अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में तेजी से बढ़ता है। पहले 60% खेत या बगीचे की मिट्टी लें, उसके बाद 30% गोबर या खाद और 10% कोकोपीट मिक्स करें, अब आप इसे गमले में भर सकते हैं।
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सबसे पहले एक उपयुक्त आकार का गमला या ग्रो बैग लें। कॉर्नफ्लावर उगाने के लिए 9 X 9 इंच (चौड़ाई X ऊँचाई) का गमला उचित रहेगा।
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गमले की नम मिट्टी में 1/2 इंच की गहराई पर कॉर्नफ्लावर सीड्स को लगाकर कवर कर दें। इसके बाद मिट्टी में पानी का छिड़काव करें।
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अब गमले को अँधेरे वाली ऐसी जगह पर रख दें, जहाँ पर थोड़ी गर्माहट हो। मिट्टी का तापमान 15-21°C होने पर कॉर्नफ्लावर फूल के बीज 7-10 दिन में अंकुरित हो जाते हैं।
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कॉर्नफ्लावर की सीडलिंग तैयार होने तक मिट्टी को लगातार नम बनाएं रखें। पौधा जब बड़ा हो जाए तब पानी डालने से पहले मिट्टी को थोडा सूखने दें। ऊपरी 2 इंच की मिट्टी सूखी होने पर पानी डालें।
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कॉर्नफ्लावर पौधे के ग्रोइंग सीजन में महीने में एक से दो बार फास्फोरस और पोटेशियम से भरपूर खाद व उर्वरकों को डालना चाहिए। इससे पौधे में अधिक फूल खिलते हैं।
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कॉर्नफ्लावर पौधे में यदि सूखे हुए फूल या टहनी हों, तो उन्हें काट कर अलग कर दें। ऐसा करने से पौधे की ऊर्जा नए फूल खिलने में खर्च होती है। इस तरह डेडहेडिंग करने से कॉर्नफ्लावर के पौधे में और अधिक फूल खिलने लगते हैं।
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