by samiksha tiwari
अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह जड़ी बूटी मानव से मानसिक और शारीरिक दोनों रूप में स्वास्थ्य रखती है। यह पौधा नाइटशेड परिवार का पौधा है, जिसे भारतीय सेंग (भारतीय जिनसेंग) और विंटर चेरी आदि नामों से भी जाना जाता है।
घर पर अश्वगंधा पौधे को ग्रो करने के लिए मध्यम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए यह पौधा न ग्रीष्म ऋतु में और न ही शीत ऋतु में लगाया जाता है।
1
गमले में अश्वगंधा पौधे को उगाने के लिए रेतीली और दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, अश्वगंधा को कुछ मात्रा में क्षारीय मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसका PH 7.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए।
2
अश्वगंधा के बीज उगाने के लिए 10 से 12 इंच चौड़ाई वाले गमले या पॉट की आवश्यकता होती है, जिसमें जल की निकासी के लिए अतिरिक्त छिद्र हों।
3
गमले के बीचों बीच लगभग ½ इंच गहराई में अश्वगंधा के बीज को लगाएं, आप 2 से 3 बीजों को एक साथ लगा सकते हैं।
4
बीज वाले बर्तन को ऐसे स्थान पर रखें, जहां 5 से 6 घंटे तक धूप आती रहे। उचित देखभाल से अश्वगंधा के बीजों को अंकुरित होने में 6 से 14 दिन लग सकते हैं।
5
अश्वगंधा का पौधा अधिक जल भराव की स्थिति को सहन नहीं कर पाता है, इससे पौधे की जड़ें ख़राब हो सकती है।
6
अश्वगंधा का पौधा लगाया है, तो यह बात जान लें कि मकड़ी का जाल, एफिड्स जैसे विभिन्न प्रकार के कीट पौधे की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। इससे बचने के लिए अश्वगंधा के पौधे में समय-समय पर नीम के तेल का छिड़काव करते रहना चाहिए।
7