घरेलू पौधों में जड़ सड़न के इलाज के लिए 7 प्रभावसाली समाधान!

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क्या आपके घरेलु पौधों की ग्रोथ रुक गयी है या उनकी पत्तियां पीली पड़ रहीं है? 

 इन सभी समस्याओं का कारण पौधों में होने वाला जड़ सड़न रोग हो सकता है। 

जड़ सड़न रोग को रूट रोट या जड़ गलन रोग के नाम से भी जाना जाता है। 

आज हम आपसे जड़ सड़न के लक्षण और इसकी रोकथाम के बारे में बात करने जा रहे हैं।

जड़ सड़न रोग क्या है:

गमले में अधिक पानी होने से मिट्टी गीली और संकुचित हो जाती है जिससे जड़ों तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच पाती जिससे जड़ें गलने और सड़ने लगती हैं।

रोग के लक्षण:

जड़ सड़न रोग के सामान्य लक्षणों में पौधे की वृद्धि का रुकना, पत्तियों का पीला पड़ना, पत्तियों का मुरझाना और गूदेदार तने शामिल हैं।

जड़ों को ट्रिम करें:

आपको पौधे की प्रभावित जड़ों को प्रूनिंग कैंची की मदद से काट देना चाहिए ताकि वह फिर से विकास के लिए तैयार हो सके।

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पौधे को रिपॉट करना:

जड़ें सड़ने के बाद, पौधे को अच्छे जल निकासी वाले पॉटिंग मिक्स और साफ गमले में ट्रांसप्लांट करें।

2

पौधों को ओवरवाटरिंग से बचाएं

नमी की अधिकता जड़ सड़न रोग का मुख्य कारण है, इसलिए पौधों को पानी तभी देना चाहिए जब मिट्टी सूखी हो।

3

ड्रेनेज होल वाले गमलों चुने: 

अगर आप अपने पौधे को जड़ सड़न रोग से बचाना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि ऐसे गमलों का चयन करें जिनमें जल निकासी के छेद हों।

4

जड़ों को साफ करना:

यदि पौधे में कुछ स्वस्थ जड़ें हों तो जड़ों को गमले से बाहर निकले और उसकी संक्रमित, सड़ी-गली या मृत जड़ों को काटकर अलग कर दें।

5

पौधों में ओवर फर्टिलाइजेशन:

पौधे में आवश्यकता से अधिक उर्वरक डालने से जड़ें जल जाती हैं, जो जड़ सड़न रोग का मुख्य कारण है।

6

अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का यूज़:

आपको अच्छे पॉटिंग मिक्स का उपयोग करना चाहिए और साधारण मिट्टी की क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें रेत, कोको पीट और गोबर खाद मिलाएं।

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