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राख, लकड़ी के जलने के बाद बचा हुआ भूरा-सफ़ेद अवशेष होता है। इसमें कैल्शियम, पोटेशियम (पोटाश) के अतिरिक्त पौधों के लिए आवश्यक कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
लकड़ी की राख (वुड ऐश) को मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर जैविक उर्वरक के रूप में उपयोग करते है लेकिन इस उर्वरक का सबसे अच्छा उपयोग अन्य खाद, उर्वरक के साथ मिलकर किया जाना चाहिए।
फास्फोरस और पोटेशियम पोषक तत्वों के मौजूद रहने के कारण लकड़ी की राख पौधों में फ्लावरिंग और फ्रुटिंग बढ़ा देती है।
राख उर्वरक मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है।
वुड एश फर्टिलाइजर में सबसे अधिक कैल्शियम (लगभग 20% या अधिक) और पोटेशियम पोषक तत्व (5%) पाए जाते हैं।
लकड़ी की राख डालने से पौधों की मिट्टी की क्षारीयता बढ़ जाता है। ज्यादातर पौधे 6 से 7 पीएच मान वाली मिट्टी में अच्छे से उगते हैं।
पौधों की मिट्टी या पत्तियों पर लकड़ी की राख छिड़कने से घोंघे, स्लग, चींटियां और अन्य नरम शरीर वाले कीट जैसे एफिड्स भी पौधों से दूर रहते हैं।
टमाटर, शिमला मिर्च जैसे पौधे ब्लॉसम एंड रॉट नामक रोग से ज्यादा प्रभावित होते हैं। लकड़ी की राख कैल्शियम की कमी दूर करके रोग से बचाती है।